Saturday 13 July 2019

क्या कोई माँ बाप अपने बच्चों के जान के दुश्मन हो सकते है ???


शादी के बाद पति पत्नी अक्सर बच्चों के बारे में सोचते रहते है कि हमारे बच्चे होंगे।यदि बेटा हुआ तो ये नाम रखेंगे,बेटी हुई तो ये नाम रखेंगे।किसी की  भगवान प्रार्थना सुनता है और शादी के कुछ समय बाद ही उनके घर बच्चें की किलकारी गूंजने लगती है तो किसी के घर वर्षो वर्षो इंतजार करना पड़ता है,कई कई अस्पतालों की चक्कर काटते है तो कई मंदिरों की चौखट में मन्नतें  मांगते हुए देखे गए है, तो कई बाबाओ, साधुओ और तांत्रिको के चक्कर काटते है औलाद पाने के लिए।
जब औलाद होती है तो खुशियों की लहर दौड़ जाती है घर परिवार समाज में।
फिर बच्चो की छोटी बड़ी खुशी के लिये माँ बाप अपनी इच्छाओं को दिन प्रतिदिन दफन करते जाते है। क्योंकि उन्हें लगता है कि बच्चों की ख़ुशी में ही हमारी खुशी है। सभी माँ बाप अपने बच्चों के अपनी जान से ज्यादा प्यार करते है,तो फिर वो उन्ही बच्चों के  जान के दुश्मन कैसे हो सकते है।यदि जान के दुश्मन होते तो फिर पढ़ा लिखाकर अपनी खुशी को मारकर अपने बच्चों को क्यों खुश रखना चाहते है।